गुरुवार, 16 जुलाई 2015

ज़िन्दगी

तुम धीरे-धीरे आना
तुम चुपके चुपके
तुम छइयां छइयां आना
ना धूप लगे डर जाना ।

तुम बन के चंचल हिरनी
वन वन में कुलांचे भरना
मत अंखिया तुम बंद करना
शिकारी बन कर रहना ।

कुछ पांव तले गड़ जाये
ना फ़िकर कोई तुम करना
तुम आगे- आगे चलना
ना पीछे मुड़ते रहना।

तुम अपना पँख फैलाना
बन आजाद परिन्दा
चूमोगी नील गगन को
इक दिन तुम ये तय करना।

खुश रहना तुम हर पल
ना गम के साये में रहना
फूलों के संग संग कांटे
होते फूलों का गहना।
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पूनम श्रीवास्तव

1 टिप्पणी:

रचना दीक्षित ने कहा…

खुश रहना तुम हर पल
ना गम के साये में रहना
फूलों के संग संग कांटे
होते फूलों का गहना।

सुंदर गीत. बधाई पूनम जी.